राजस्थान में मुख्यमंत्री भजनलाल की राजनीतिक परीक्षा

      Comments Off on राजस्थान में मुख्यमंत्री भजनलाल की राजनीतिक परीक्षा

हनुमान बेनीवाल के भविष्य का भी फैसला।

भूपेंद्र यादव और अर्जुन राम ने जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी।

Sri SP Mittal Journalist Ajmer

————Author———-
Shri SP Mittal, Renowned Journalist, Ajmer Rajasthan
Website Facebook Twitter Blog
WhatsApp: 9929383123 Contact: 9829071511

पहले चरण के मतदान में राजस्थान की 12 सीटें भी शामिल है। लोकसभा चुनाव में प्रदेश के मुख्यमंत्री का चेहरा भी महत्वपूर्ण होता है और जब भाजपा डबल इंजन की ताकत की बात कहती है तो फिर भाजपा शासित राज्य में मुख्यमंत्री की भूमिका और महत्वपूर्ण हो जाती है। सब जानते हैं कि चार माह पहले भजनलाल शर्मा राजस्थान के मुख्यमंत्री बने। चूंकि शर्मा पहली बार विधायक बनकर मुख्यमंत्री बने गए इसलिए उन्हें राजनीति में नया माना गया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि गत चार माह में शर्मा ने भाग दौड़ करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। भाजपा के जो नेता स्वयं को सर्वेसर्वा मानते थे, उन सबको को पीछे धकेलते हुए भजनलाल शर्मा ने अकेले ही मोर्चा संभाला। भाजपा के प्रदेश स्तरीय नेताओं में सबसे ज्यादा चुनावी सभाएं शर्मा की ही हुई। मौजूदा समय में राजस्थान में भाजपा का सिर्फ एक ही चेहरा भजनलाल शर्मा के तौर पर सामने है। प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने भी शर्मा को ही अपना नेता मान लिया है। वैसे भी सीपी जोशी चित्तौड़ से चुनाव लड़ रहे है, इसलिए अपने क्षेत्र में ही व्यस्त है। पहले चरण का मतदान हो जाने के बाद भी पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की राजनीति सक्रियता सामने नहीं आई है। राजे ने अभी तक भी किसी भी क्षेत्र में जाकर चुनावी सभा को संबोधित नहीं किया है। राजस्थान की शेष 13 सीटों पर दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान हो जाएगा। यानी 25 अप्रैल को चुनाव प्रचार बंद हो जाएगा। देखना होगा कि शेष पांच दिनों में वसुंधरा राजे किन संसदीय क्षेत्रों में जाकर भाजपा का प्रचार करती है। वैसे राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह भी बारां-झालावाड़ से चुनाव लड़ रहे है। बारां झालावाड़ में 26 अप्रैल को मतदान होना है।

बेनीवाल का भविष्य भी तय:

बोतल चुनाव चिन्ह वाली आरएलपी के संयोजक हनुमान बेनीवाल का राजनीतिक भविष्य भी लोकसभा चुनाव में तय हो जाएगा। बेनीवाल कांग्रेस के समर्थन से नागौर से चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि बेनीवाल नागौर से ही विधायक भी है। बेनीवाल यदि लोकसभा का चुनाव हारते हैं तो उनकी पार्टी के भविष्य पर भी सवालिया निशान लगेगा। बेनीवाल अपनी पार्टी के एकमात्र उम्मीदवार है। नागौर से कांग्रेस का समर्थन लेकर बेनीवाल ने किसी भी संसदीय क्षेत्र में अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं किया है। बेनीवाल नागौर से अपनी जीत के प्रति कितना आश्वस्त है, इसका अंदाजा बेनीवाल के बयान से ही लगाया जा सकता है। बेनीवाल का आरोप है कि कांग्रेस के नेता भाजपा का प्रचार कर रहे है। यहां उल्लेखनीय है कि भाजपा ने 2019 में कांग्रेस की उम्मीदवार रही ज्योति मिर्धा को अपना उम्मीदवार बनाया है। चूंकि ज्योति मिर्धा कांग्रेस की नेता रही है, इसलिए कांग्रेस में उनका खासा प्रभाव है। ज्योति की वजह से ही कांग्रेस के कई नेताओं ने भाजपा की सदस्यता ले ली है। ज्योति को पीएम मोदी के चेहरे का भी लाभ मिल रहा है ।

यादव और अर्जुन ने ताकत लगाई:

राजस्थान के जिन 12 संसदीय क्षेत्रों में 19 अप्रैल को मतदान हुआ उनमें अलवर और बीकानेर भी शामिल है। अलवर से केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और बीकानेर से अर्जुन राम मेघवाल भाजपा के उम्मीदवार हैं। मेघवाल लगातार तीसरी बार बीकानेर से उम्मीदवार है, जबकि भूपेंद्र यादव पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पहले यादव राजस्थान से दो बार राज्यसभा के लिए चुने जा चुके हैं। यादव भले ही पहली बार चुनाव लड़ रहे हो, लेकिन उन्हें चुनाव लड़ने का खास अनुभव रहा है। यादव भाजपा की ओर से उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात जैसे राज्यों में चुनाव प्रभारी रह चुके हैं। पूर्व में यादव राजस्थान के प्रभारी भी रहे है। चूंकि यादव और मेघवाल दोनों ही केंद्र में मंत्री हैं, इसलिए चुनाव जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है।