डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म तेलुगु के एक ब्राह्मण परिवार में तिरुपति भारत में 5 सितंबर को 1888 में हुआ था l डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की प्रारंभिक शिक्षा क्रिश्चियन मिशनरी संस्था (luthaarn) मिशन स्कूल तिरुपति में 1806 1900 मध्य हुई l
1900 -1904 तक इन्होने वेल्लूर में शिक्षा ग्रहण की थी l इसके बाद मद्रास में मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में शिक्षा ग्रहण की इन्होंने दर्शनशास्त्र में m.a. किया और सन 1916 में मद्रास के रेजीडेंसी कॉलेज में दर्शनशास्त्र के सहायक प्राध्यापक नियुक्त हुए l “डॉक्टर सर्वपल्ली राधा कृष्ण को स्वतंत्र भारत के दूसरे उपराष्ट्रपति होने का सम्मान मिला” (13 मई 1952 से 12 मई 1962 तक), तथा भारत के राष्ट्रपति भी रहे (13 मई 1962 से 13 मई 1967 तक), डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपने लेखों और भाषणों के माध्यम से पूरे विश्व को (दर्शनशास्त्र शिक्षा )से परिचित करवाया l
शिक्षक दिवस :-
5 सितंबर को डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्ण के जन्म दिवस पर शिक्षक दिवस मनाने का कारण यह भी कि एक दिन वह अपनी कक्षा में छात्रों को पढ़ा रहे थे उसी वक्त उनके छात्रों ने उनसे कहा कि अध्यापक जी हम आपका जन्म दिवस मनाना चाहते हैं तभी उन्होंने जवाब दिया कि अगर तुम मेरा जन्म दिवस मनाना चाहते हो तो मेरे जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रुप में मनाओगे तो मुझे अधिक गर्व महसूस होगा | इसीलिए तभी से 5 सितंबर को डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस के दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है l
इन्हें बचपन से ही अध्यापक के पेशे से बेहद प्यार और रुझान था l यह पूरे विश्व को विद्यालय के समान मानते थे l इन्होंने भारत को केवल दार्शनिक शिक्षा से रूबरू नहीं करवाया बल्कि शिक्षक और शिक्षा का एक अनोखा मतलब ही समझाया है l इन्होंने अपने विचार और मेहनत से पूरे विश्व में शिक्षक और शिक्षा का परचम लहराया है l
इनकी मेहनत और सफलता से एक ही बात सामने आती है कि एक शिक्षक केवल छात्र को ज्ञान नहीं देता बल्कि उसका भविष्य भी होता है तथा छात्र के भविष्य का निर्माण करता भी होता है l
अध्यापक के पेशे को एक गौरवपूर्ण सम्मान दिया
यही विशेष कारण है कि हम सभी उनके जन्मदिवस को हर्षोल्लास से सभी शिक्षकों का आदर सम्मान करके शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं l और वर्तमान में सभी विद्यालयों में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्ण को विशेष गौरव और सम्मान के साथ याद किया जाता है इसी के साथ सभी अध्यापक-अध्यापिकाओं तिलक लगाकर, माला पहनाकर, और उपहार देकर सम्मान समारोह किया जाता है तथा बड़े कक्षा के छात्र छात्राएं छोटी कक्षा के विद्यार्थियों के लिए अध्यापक बनकर इन्हें पढ़ाते हैं और शिक्षक बनकर एक अलग रूप में इस दिन को मनाते हैं l शिक्षक को लेकर हमारे भारत में एक बहुत खास बात कही गई है वह है कि “गोविंद से बड़े गुरु” अर्थात् गुरु को भगवान से भी बढ़कर माना गया है |
Google Doodle on Teachers Day 2018
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