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2024 में 64 करोड़ लोगों ने वोट डाला और अब महाकुंभ में 65 करोड़ श्रद्धालुओं ने 45 दिनों में संगम स्नान किया। यह है कि भारत के सनातन की ताकत।
भाजपा को 23 करोड़ 59 लाख 73 हजार 935 वोट ही मिले थे।
भारत की सनातन संस्कृति में शिवरात्रि के महापर्व का इसलिए महत्व है कि महादेव शिव का महादेवी पार्वती के साथ पाणिग्रहण हुआ था। और अब जब 26 फरवरी को शिवरात्रि के दिन प्रयागराज में महाकुंभ का समापन हो रहा है तो संगम पर श्रद्धालुओं ने स्नान करने का मौका नहीं गंवाया। महाकुंभ 13 जनवरी मकर सक्रांति के साथ शुरू हुआ था। इन 45 दिनों में 65 करोड़ श्रद्धालुओं ने महाकुंभ में स्नान किया। वर्ष 2024 में चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव में लगभग सौ करोड़ मतदाता पंजीकृत किए। इसमें 64 करोड़ से ज्यादा मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। यानी वर्ष 2024 में जितने लोगों ने वोट डाला उससे ज्यादा श्रद्धालुओं ने महाकुंभ का स्नान किया। जो लोग भारत में रहकर सनातन धर्म को नष्ट करने की सोच रखते है, उन्हें सनातन धर्म की इस ताकत को समझना चाहिए। दुनिया में महाकुंभ पहला धार्मिक अनुष्ठान होगा, जिसमें मात्र 45 दिनों की अवधि में 65 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने स्नान किया। प्रयागराज में इंतजामों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा तो की जानी चाहिए ही, लेकिन प्रशंसा के असली हकदार सनातन धर्म में आस्था रखने वाले वो श्रद्धालु हैं, जिन्होंने महाकुंभ में स्नान किया।
सनातन धर्म को नष्ट करने की सोच वाले नेताओं के साथ सहयोगी रहे कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, वामपंथी आदि ने महाकुंभ के इंतजामों को लेकर डर दिखाया, लेकिन इसके बाद भी श्रद्धालुओं ने प्रयागराज आने में कोई हिचक नहीं दिखाई। महाकुंभ के दौरान प्रयागराज और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन में मची भगदड़ में भले ही पचास श्रद्धालु कुचलकर मर गए हो, लेकिन फिर भी सनातन धर्म में आस्था रखने वालों ने प्रयागराज में संगम स्नान किया। जो लोग सनातन धर्म को नष्ट करने की सोच रखते हैं, उन्हें महाकुंभ जैसे अनुष्ठानों की ताकत को समझना चाहिए। यदि सनातनी एकजुट होकर महाकुंभ का स्नान कर सकते है तो एक दिन देश के सनातनी एकजुट होकर केंद्र की सत्ता को मजबूत भी कर सकते है।
यह सही है कि वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 23 करोड़ 59 लाख 73 हजार 935 वोट मिले। 64 करोड़ वोटों में से 23 करोड़ वोट भाजपा को मिलने से देश के राजनीतिक परिदृश्य का अंदाजा लगाया जा सकता है। सनातनियों ने उन दलों को भी वोट दिया जो सनातन धर्म को नष्ट करने वालों के साथ खड़े है। देश के दस राज्यों में सनातनी अल्पसंख्यक हो गए है। अब समय आ गया है, जब पूरे भारत वर्ष में सनातनियों को महाकुंभ जैसी एकता दिखानी चाहिए।
हमारे धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि हनुमान जी को भी अपनी ताकत का अंदाजा नहीं था, लेकिन जब ताकत का अंदाजा कराया गया तो फिर हनुमान की सेना ने रावण की सेना को परास्त कर दिया। महाकुंभ के माध्यम से सनातनियों की ताकत का अंदाजा करा दिया गया है।