hanuman beniwal image photo

हनुमान बेनीवाल की अभद्र टिप्पणियाँ: जाट समुदाय के नेताओं पर निशाना

      Comments Off on हनुमान बेनीवाल की अभद्र टिप्पणियाँ: जाट समुदाय के नेताओं पर निशाना

हनुमान बेनीवाल की अभद्र टिप्पणियाँ: क्या यह जाट समुदाय को कमजोर कर रही हैं?

हनुमान बेनीवाल ने अब देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और राजाराम मील के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की।

तो क्या बेनीवाल स्वयं को ही जाट समुदाय का सबसे बड़ा नेता समझते हैं? बेनीवाल के रवैए से नागौर में भाजपा प्रत्याशी ज्योति मिर्धा की जीत आसान हो रही है।

Sri SP Mittal Journalist Ajmer

————Author———-
Shri SP Mittal, Renowned Journalist, Ajmer Rajasthan
Website Facebook Twitter Blog
WhatsApp: 9929383123 Contact: 9829071511

राजस्थान में आरएलपी के प्रमुख हनुमान बेनीवाल नागौर संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार है और उन्हें कांग्रेस का समर्थन है। लेकिन बेनीवाल लगातार जाट नेताओं के खिलाफ अभद्र टिप्पणियां कर रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि बेनीवाल स्वयं को ही जाट समुदाय का सबसे बड़ा नेता समझते हैं।

बेनीवाल के इस रवैये से ही नागौर के कांग्रेस नेताओं ने भी भाजपा की प्रत्याशी ज्योति मिर्धा को समर्थन देने की घोषणा कर दी है। हाल ही में एक चुनावी सभा में बेनीवाल ने देश के उपराष्ट्रपति और जाट समुदाय में सम्मान रखने वाले जगदीप धनखड़ पर भी अभद्र टिप्पणी की।

बेनीवाल का कहना रहा कि धनखड़ भले ही देश के उपराष्ट्रपति हो, लेकिन वे सरपंच का चुनाव नहीं जीत सके। इतना ही नहीं बेनीवाल ने राजाराम मील को लेकर भी अनेक अभद्र टिप्पणियां की। बेनीवाल ने कहा कि मील अपने निजी स्वार्थों के खातिर कभी वसुंधरा राजे (पूर्व मुख्यमंत्री) तो कभी अशोक गहलोत के पास चले जाते हैं।

जानकारों का मानना है कि बेनीवाल जाट समुदाय के नेताओं के खिलाफ जो अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर रहे है, उससे भाजपा प्रत्याशी ज्योति मिर्धा की जीत आसान हो रही है। ज्योति मिर्धा किसी पर आरोप लगाने के बजाए अपने भाषणों में मोदी सरकार की उपलब्धियों पर वोट मांग रही है।

कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने जिस प्रकार नागौर की सीट समझौते में आरएलपी को दी उससे नागौर के कांग्रेस के नेता भी नाराज हैं। आठ में से चार विधायक कांग्रेस के होने के बाद भी नागौर की सीट पर कांग्रेस का चुनाव न लड़ना कांग्रेस के नेताओं के समझ में नहीं आ रहा।

बेनीवाल को समर्थन देने से कांग्रेस के विधायक भी सक्रिय भूमिका नहीं निभा रहे है। कांग्रेस के कई नेताओं के साथ संवाद कायम करने के बजाए बेनीवाल अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर रहे है। इसका कांग्रेस पर भी उल्टा असर हो रहा है। बेनीवाल की उम्मीदवारी से नागौर में संगठनात्मक दृष्टि से कांग्रेस बेहद कमजोर हो गई है।